Commercial bank of IndiaTwo type of commercial bank
1.अनुसूचित बैंक ( Scheduled Banks )
2.गैर - अनुसूचित बैंक ( Non - Scheduled Banksy
अनुसूचित बैंक ( Scheduled Banks )
अनुसूचित बैंक ऐसे बैंक हैं , जिन्हें भारतीय रिजर्व
बैंक 1934 की द्वितीय अनुसूची में
सम्मिलित किया गया है ।
रिजर्व बैंक अधिनियम स अनसची में उन्हीं
बैंकों को सम्मिलित किया जाता है जो कि निम्नलिखित शर्तों की पूर्ति करते हैं
1 . बैंक की प्रवत्त पूँजी
और संचित कोष 25 लाख रुपए से कम न हो
2 . भारतीय रिजर्व बैंक को
इस बात का विश्वास हो कि बैंक का कोई भी कार्य जमाकर्ताओं के लिए अहितकारी नहीं
होगा ।
अनुसूचित बैंकों में सार्वजनिक तथा निजी
क्षेत्रों के बैंक दोनों शामिल हैं ।
अनुसूचित बैंक ( Non - Scheduled Bank )
1 जो बैंक रिजर्व बैंक
अधिनियम - 1934 की दूसरी अनुसूचा शामिल
नहीं है , वे गैर - अनुसूचित बैंक
कहलात के बैंकों की संख्या में अब निरंतर कमी हो रही है
इन बैंकों को भी सांविधिक नकद कोष शर्तोको
मानना पड़ता है परन्तु ये बैंक इस कोष
को रिजर्व बैंक के पासको बाध्य नही है ।
ये बैंक सामान्य कार्य उद्देश्यों हेतु
रिजर्व बैंक स अधिकृत नहीं होते , किन्तु असामान्य परिस्थितियों में बैंक से
संपर्क करके ऋण प्राप्त कर सकते है |
वाणिज्यिक बैंकों के बैंकों के कार्य ( Functions of Commercial Banks )
1.जमा स्वीकार करना ( Accepting Deposits )
बैंक का सबसे महत्वपूर्ण कार्य है ।
वर्तमान में बैंक अपने ग्राहकों से तीन प्रकार की जमाएँ स्वीकार करते हैं 1 . बचत जमा 2 . मांग जमा 3 . सावधिक जमा ।
बचत जमा ( Saving
Deposit ) :
इस जमा पर बैंक की ब्याज
दर कम है । इसका कारण यह है कि इसमें अपनी बचत जमा करने वाले सामान्यतः छोटी
बचतें ही करते हैं । जमाकर्ता सप्ताह या वर्ष के दौरान एक सीमा तक अपनी राशि चेक
के माध्यम से निकाल सकते हैं ।
मांग जमा ,
( Demand Deposit ) :
व्यवसायी अपनी जमा चालू 4 खाते ( Current Account ) में करते हैं । वे अपने
खाते में जमा कितनी भी राशि को बिना किसी पूर्व सूचना ( नोटिस
) के चेक द्वारा निकाल सकते हैं । बैंक ऐसे खातों पर कोई ब्याज नहीं देता है .
बल्कि अपने ग्राहकों को प्रदान की गई सेवाओं के बदले कुछ राशि बतौर प्रभार ग्रहण
करता है । चालू खातों को माँग जमा के रूप में जाना जाता है ।
सावधिक जमा ( Fixed Deposit ) :
बैंक जमा को सावधिक या
पियावी जमा के रूप में भी स्वीकार करता है । वे बचतकर्ता , जिन्हें संचित राशि की
आवश्यकता नहीं होती , वे आजकल उसे 30 दिन की अवधि से अधिक समय
के लिए बैंक के सावधि क ( मियादी ) जमा ( Time Deposit ) खाते में रख सकते हैं ।
ऐसी राशि पर बैंक जमाकर्ताओं को अधिक ब्याज ( Interest ) देता है ।
प्राथमिक जमाएँ ( Primary Deposits )
यह लोगों द्वारा वाणिज्यिक बैंकों में की
गई नकद जमा है । ये बैंकों की कुल माँग जमाओं का एक भाग है ।
गौण या द्वितीयक जमाएँ ( Secondary Deposits )
यह उन जमाओं ( Deposits ) को कहते हैं , जिनकी उत्पत्ति तब होती
है । जब बैंकों द्वारा लोगों को ऋण दिया जाता है । ये भी बैंकों की कुल माँग
जमाओं का एक भाग है ।
2 . अग्रिम ऋण देना ( Advance
Loan )
वाणिज्यिक बैंकों के मुख्य कार्यों में से एक अपने
ग्राहकों को अग्रिम ऋण देना है । बैंक अपनी जमा राशि का कुछ प्रतिशत ऋण कर के
रूप में प्रदान करता है ।
ऋण व्याज दर अपनी जमा पर देने वाले ब्याज
दर की अपेक्षा अधिक होती है ।
3 . साख निर्माण ( Credit Creation )
साख निर्माण वाणिज्यिक
बैंकों के कार्यों में से एक अत्यंत महत्वपूर्ण कार्य है । अन्य वित्तीय
संस्थाओं की तरह इनका उद्देश्य भी लाभ कमाना होता है ।
इस उद्देश्य के लिए बैंक दिन - प्रतिदिन
विनिमय हेतु कुछ नकदी रिजर्व में रख कर जमा स्वीकार करता है और अग्रिम ऋण देता
है । जब बैंक अग्रिम ऋण देता है तो ग्राहक के नाम पर एक खाता खोल दिया जाता है
तथा उसे दिए गए ऋण का भुगतान नकद रूप से न करके उसकी आवश्यकताओं के अनुसार चेक ( Cheque ) द्वारा किया जाता है ।
ऋण मंजूर करके बैंक साख या जमा का सृजन करता है ।
4
. विभिन्न
सेवाएँ ( Miscellaneous Services )
उपर्युक्त सेवाओं के अतिरिक्त , वाणिज्यिक बैंक अन्य
अनेक सेवाएँ प्रदान करते हैं । बैंक अपने ग्राहकों को लॉकर्स की सविधा देकर उनकी
मूल्यवान वस्तुओं के अभिरक्षक ( Custodian ) के रूप में भी कार्य करता है । इन लॉकर्स
में ग्राहक अपने आभूषण और मूल्यवान दस्तावेज रख सकते हैं ।
बैंक चेक , ड्राफ्ट , यात्री - चेक इत्यादि के रूप में विभिन्न प्रकार के साख
- साधन भी जारी करता है जिससे विनिमय आसान हो जाता है । बैंक ATM सुविधा भी प्रदान करते
हैं , जिसके अनुसार बैंक के
ग्राहक किसी भी समय अपने डेबिट कार्ड से एक निश्चित राशि निकाल और जमा करा सकते
हैं
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